रा जनीति है भाई यहां सब चलता है, इलेक्शन के बाद वोटर हाथ मलता है। झू ठ-फरेब और चापलूसी मक्कारों का सिक्का जमता है, झूठे वादे और लफ्फाजी षड्यंत्रकारी वो च…
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ये कैसी हवा चल पड़ी है
Santosh Sarang
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मेरी पहली कविता ये कैसी हवा चल पड़ी है धुंध में लिपटी हुई-सी धूल-कणों में सनी हुई-सी कालिमा की चादर ओढ़े सनसनाती, अट्ठहास करती मतवाली चाल चल रही…
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