हुस्सेपुर रत्ती, साहेबगंज । बिहार सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना 'कृषि रोड मैप योजना' जमीन पर नहीं उतर रही है । अगर यह देखना है तो मुजफ्फरपुर के साहेबगंज और पारू प्रखंड में जाकर देखिये । इस योजना के तहत पिछले दिनों किसानों को पटना प्रशिक्षण के लिये भेजना था, लेकिन पारू और साहेबगंज से एक भी किसानों को जब ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा गया तो पारू प्रखंड के चान्दकेवारी गांव के तीन किसान ट्रेनिंग के दिन जबरदस्ती मुजफ्फरपुर के जिला कृषि पदाधिकारी श्री रजक से मिलकर पटना प्रशिक्षण में शामिल हुए । इस परिस्थिति में कैसे बिहार में दूसरी हरित क्रांति का सपना देख रहे हैं मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार । प्रखंड कृषि पदाधिकारी और अन्य कर्मचारियों के बीच वर्क कल्चर विकसित किए वगैर कृषि क्रांति सम्भव नहीं हैं । गत दिनों कृषि मंत्री श्री नागमणि ने कहा था कि कृषि रोड मैप योजना शत-प्रतिशत जमीन पर उतरी है जो आठवां आश्चर्य हैं, लेकिन मंत्री जी को पारू प्रखंड के किसानों से मिलकर योजनायों का हाल जानना चाहिए । हुस्सेपुर रत्ती के किसान एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री पंकज सिंह कहते हैं कि सरकार की यह योजना फ्लॉप हो रही हैं ।
(साहेबगंज से अप्पन समाचार की रिपोर्टर अनीता कुमारी एवं कैमरापर्सन रूबी कुमारी की रिपोर्ट )
Posted by: Santosh Sarang
Santosh, a social activist turned journalist, is based in Muzaffarpur, Bihar. Despite limited resources, He runs the only women's video program, Appan Samachar, promoting rural journalism from the Naxal affected area of Ramlila Gachi, Bihar. It is a program on women and by women but put together by Santosh. The CNN-IBN group has recognised his performance in adverse conditions and awarded him the prestigious “Citizen Journalist Award” in 2008.Currently he works as Chief Sub Editor with Prabhat Khabar, Muzaffarpur, and has published more than 150 articles in different magazines on developmental issues and environmental concerns. He was awarded the South Asia Climate Change Award Fellowship by PANOS. He has written for Prayavaran Darshan, India Innovates and Gaon Ghar of Doordarshan, Patna. He's on Twitter with @Santosh_Writes
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