जब तुम 

पत्थर में प्राण डाल सकते हो 

मंत्रों से किसी को भस्म कर सकते हो

श्राप से किसी को संकट में डाल सकते हो 


तो मैं भी 

एक मुट्ठी में धरती समा सकता हूं

दहकते सूरज को निगल सकता हूं 

एक अंगुली पर आसमान उठा सकता हूं 


मैं चुनौती देता हूं तुमको 

मैं आवाहन करता हूं 

तुम्हारी शक्ति व भक्ति को

तुम वैसा करके दिखाओ, तो

मैं भी ऐसा करके दिखाता हूं।


© संतोष सारंग