वह भ्रम में है कि

झूठ जीत गया, सच हार गया

हिंसा जीत गई, अहिंसा हार गई

नफरत जीत गया, मोहब्बत हार गई

कुतर्क जीत गया, तर्क हार गया

मनुस्मृति जीत गई, संविधान हार गया

तानाशाही जीत गई, लोकतंत्र हार गया।


हिटलर को भी भ्रम था

तोप, बंदूक, गोला-बारूद से

मानवता व शांति को हराकर 

यहूदियों का नरसंहार कर

नाजियों का राज ले आएगा

द्वितीय विश्व युद्ध जीत लेगा 

पर काल ने इतिहास पलटा 

बर्लिन की रक्तरंजित जमीं पर 

सोवियत संघ की सेना से घिरे 

हिटलर ने बंकर में गोली मार ली

पत्नी को सायनाइड खाना पड़ा

इस तरह एक तानाशाह का अंत हुआ 


मुसोलिनी को भी भ्रम था 

उसकी तानाशाही की जीत होगी 

इटली को बारूद की ढेर पर

निरीह आदमी को रौंद कर 

युद्धभूमि में वह विजयी होगा

पर कालचक्र का पहिया घूमा 

इतालवी कम्युनिस्ट गुरिल्लाओं ने

पकड़ कर फांसी पर लटका दिया 

शव को पेट्रोल पंप पर टांग दिया

भीड़ ने शव पर पत्थर फेंके, थूका

इस तरह एक तानाशाह का अंत हुआ


सिकंदर को भी भ्रम था 

कि उसने दुनिया जीत ली 

पर एक बीमारी ने उसे हरा दिया

निरंकुश तानाशाहों को उसका

अहंकार ही उसे पराजित करता है

अंततः मानवता की जीत होती है

सनकी तानाशाह की हार होती है

मौत पर जनता ज़श्न मनाती है

लाश पर पुष्पांजलि नहीं देती

बल्कि थूकती है, पत्थर मारती है 

इतिहास के कूड़ेदान में फेंकती है 

'समय' से बड़ा कोई तानाशाह नहीं होता।

© संतोष सारंग