हमारी शब्दावली में दर्ज हैं 

प्रेम-मोहब्बत, सत्य-अहिंसा

सच्चाई, स्नेह, समानता

नैतिकता, सिद्धांत, मर्यादा 

संवैधानिक मूल्य, लोकतंत्र 

मानवता, सहिष्णुता, न्याय

तर्क, ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान

वसुधैव कुटुंबकम्, सत्यमेव जयते


ये शब्दावलियां 

हमारी श्रमण संस्कृति की जान हैं 

हमारी सभ्यता की पहचान हैं 

हमारे संस्कारों के प्राण हैं।


तुम्हारी शब्दावली में दर्ज हैंं

झूठ, फरेब, नफरत, षड्यंत्र

दंगा-फसाद, खून-खराबा 

हिंसा, अस्त्र-शस्त्र, लाठी-डंडे

दमन, अत्याचार, व्यभिचार

सोलकन, छोटका जात, शूद्र

घृणा-ईर्ष्या, छुआछूत, अछूत

धर्म-कर्म, पाखंड, अंधविश्वास


ये शब्दावलियां 

तुम्हारे जातीय वर्चस्व की शान हैं

तुम्हारे धार्मिक आतंक की तान हैं

तुम्हारे अमानवीय शोषण की गान हैं।


© संतोष सारंग