----------------------------------------------------------------  डाॅ संतोष सारंग

कवि जब खुद कविता बन जाता है, तो वह शब्दों की अनथक यात्रा पर निकल पड़ता है. तब पूरे ब्रह्मांड में तरंगित स्वर, शब्द, वेदना, रूप-रंग व सौंदर्य कवि के भावों-व्यापारों से साहचर्य होकर लोक-सामान्य की भाव-भूमि पर उतर जाते हैं. शेफाली एक ऐसी ही कवयित्री हैं, जिनकी कविताओं से गुजरना मतलब धरती व आकाश के अनंत विस्तार तक और क्षितिज पार तक जाकर शाश्वत सत्य से साक्षात्कार करना है. 'मेरे गर्भ में चांद' शेफाली का नवीनतम व पहला काव्य-संग्रह है, जिसमें पचासी कविताएं संकलित हैं. ये कविताएं एक कवयित्री के भावों-विचारों का केवल शब्द-विधान ही नहीं हैं, बल्कि प्रकृति के संग अंतरंग रिश्तों व आत्मीय आलिंगन की भावुक अभिव्यक्ति है और अनुभवजन्य यात्रा का संस्मरणात्मक विवरण भी. शेफाली के कवि मन पर प्रकृति के सौंदर्य की गहरी छाप है, जो काव्य-रूप में पेड़-पौधे, नदियां-झरने, सागर-महासागर, धरती-आसमान,  रेगिस्तान-जलप्रपात, हिमालय, बादल, पुष्प जैसे शब्द बिंब बनकर उभरे हैं.

इस काव्य-संग्रह के 'आत्मकथन' में शेफाली लिखती हैं- "कभी कविता लिखूंगी, ऐसा सोचा न था- लेकिन कविता बन जाना जरूर चाहती थी. हर क्षण घटने वाली कविता बन जाना चाहती थी. इस सत्य को, इस अंतर्ध्वनि को, इस पुकार को जैसे प्रकृति ने सुन लिया और अपना आशीष-सिंचित आंचल फैला दिया. पेड़-पौधों, पंछियों, तितलियों, फूलों और मौसम के संग पलती-बढ़ती गई...इनके सान्निध्य में शब्द तिरोहित होते गए." कवयित्री ने मुजफ्फरपुर के जिस 'हरीतिमा' में रहकर शब्द-साधना की और फिर आदिवासी क्षेत्रों की अनेक यात्राएं कीं, शायद उसी का असर इनकी काव्य-रचनाओं पर पड़ा है. शेफाली अपने काव्य-सृजन के दौरान दिव्य-प्रेम का आवाहन करती हैं- समस्त सृष्टि, समस्त ब्रह्मांड में बस एक ही गूंज हो- प्रेम' प्रेम, प्रेम.

कवयित्री की अनुभूति व्यष्टि की सीमा को तोड़ कर समष्टि में समा जाती है. प्रतिनिधि कविता 'मेरे गर्भ में चांद' जब 'गर्भ' शीर्षक कविता का अर्थ-विस्तार पाती है, तो एक स्त्री के भीतर के ममत्व का घनत्व सघन हो जाता है. अपना गर्भ किस नारी को भला प्रिय नहीं लगता है. लेकिन उस गर्भ पर संसार भर के शिशुओं का जब अधिकार हो जाए, तो कोई भी बच्चा मां के स्तनपान के बिना भूखा नहीं सोएगा और न ही उनके चेहरे से कभी मुस्कान जाएगी. कवयित्री की कोमल कल्पना में यह आना कि मेरा गर्भ धरती है, आकाश है, अपने आप में अद्भुत है. वे मानवीय रिश्तों के रेशमी-रेशों को शब्दों के साथ ऐसे बुनती हैं कि पाठक उसी में खो जाता है. कवयित्री प्रकृति व प्रेम जैसे नैसर्गिक विषयों से परे हटकर कुछ नवीन संदर्भों की भी खोज करती हैं और इसी अन्वेषण का प्रतिफल है- 'रोहित वेमुला के नाम', 'पुष्प की अभिलाषा', 'रूपांतरण' जैसी बहुतेरी कविताएं. शेफाली की कविताओं का पाठ एक सुखद आनंद से भर देता है, जिसमें साहित्यानुरागी को आध्यात्मिक यात्रा का भी दिव्य अनुभव प्राप्त होता है.

 

समीक्षक : डाॅ संतोष सारंग
मेरे गर्भ में चांद
शेफाली
राधाकृष्ण प्रकाशन/2022@रु.225